प्रिंस कुमार मिठू।उदाकिशुनगंज
उदाकिशुनगंज के दुकान में खरीददारी करने जा रहे हैं,तो हो जाइए सावधान तौल में दुकानदार कांटा मार दे तो कोई बड़ी बात नहीं है कि तौल में दुकानदार कांटा मार दे।किराना दुकान समेत पूरे मछली बाजार में इस्तेमाल हो रहे तराजू कही अमानक तो नही हैं क्योंकि नाप-तौल विभाग की ओर से अब तक खानापूर्ति करते हुए कुछ दुकनों में ही ताैलने के उपयोग में लाए जा रहे उपकरणों की जांच नहीं की गई है। विभाग की लापरवाही का फायदा दुकानदार जमकर उठा रहे हैं।
किराना, सब्जी , डेयरी, फल हो या मिठाई खरीदने वाला ग्राहक किसी भी सामान की खरीदी पर विश्वास के साथ यह नहीं कह सकता है कि उसे सामान सही तौलकर दिया गया है। मुख्यालय की दुकानों में बगैर सत्यापित बाट और तराजू का उपयोग दुकानदार कर रहे हैं। तौल कांटा और किलो बाट का सत्यापन दुकान भी नहीं है जिसका फायदा खुलेआम दुकानदार उठा रहे हैं, माप तौल ग्राहकों के बीच तीखी बहस भी होती है। बात बढ़ने पर दुकानदार वैसे ग्राहकों फिर से समान अधिक देकर लोगों को प्रभावित कर लेते हैं। हालांकि इस मामले में लोगों भी पूरी तरह सक्रिय नहीं है। जबकि इसमें सजा का प्राविधान है। लोगों कु जागरूकता और अधिकारी के कार्रवाई से माप तौल में गड़बड़ी पर लगाम लग सकता है। इस मामले में विभाग पूरी तरह से निष्क्रिय है। कभी विभागीय अधिकारी औचक निरीक्षण नहीं करते है और ना ही दुकानदार कभी अपने बाट की जांच करवाते हैं। ग्रामीण इलाके के बाजार में बटखरे के रूप में मानक बाट बटखरे की जगह ईट पत्थर के बाट प्रयोग हो रहा है। यह टूटकर या गिरकर वास्तविक वजन से कम हो जाते हैं। बावजूद दुकानदार इनका इस्तेमाल करते रहते हैं, जबकि इसके बारे में सरकार का निर्देश है कि माप तौल यंत्र का सत्यापन समय-समय पर होता रहे और संबंधित दुकानदार को इसकी रसीद भी दी जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश विक्रेताओं को नियम की जानकारी नहीं होती है। मुख्यालय स्थित बैंक चौक,गुदरी बाजार,दुर्गा सब्जी बाजार हो या मसाले, मछली, मटन और मुर्गा विक्रेता खुलेआम पुराने तराजू और बाट का प्रयोग करते दिख जाते हैं। विक्रेताओं ने कहा कि कभी कोई जांच के लिए नहीं आता है। कई सब्जी विक्रेता बाट के जगह ईंट पत्थर का इस्तेमाल करते दिखे। ग्राहकों के ऐतराज जताने पर दुकानदार ही पढ़ाने लगते हैं।
वर्षों से नहीं हुई बाट-तराजू की जांच
प्रखंड में माप तोल विभाग की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले कई वर्षों से फुटकर और ग्रामीण बाट तराजू की जांच नहीं हुई। इस कारण जहां एक तरफ दुकानदारों की चांदी कट रही है, वहीं दूसरी ओर ग्राहकों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। जांच नहीं होने के कारण ऐसे विक्रेताओं में किसी भी प्रकार का कोई डर नहीं है। बाजार में फल सब्जी या किराना सामान लेते समय अपनी आंखें खुली रखें नहीं तो एक किलो सामान के रुपए चुकाने के बाद भी आपको महज 800 ग्राम ही मिलेगा। डॉ. प्रवेज आलम कहते हैं कि बाजार में अधिकांश हाथ ठेला व्यापारियों के पास तो बाट तक नहीं है,जबकि कई किराना दुकानों पर सालों पुराने बाट से ही नापतौल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गुदरी चौंक स्थित मछली दुकानदार से दो किलो मछली लिया था लेकिन घर पर वजन किया तो वह एक किलो सात सौ ग्राम ही निकला, जबकि दुकानदार ने पूरे दो किलो के रुपए लिए थे। ऐसे कई व्यापारियों द्वारा लोगों को चूना लगाया जा रहा है।
छह महीने की सजा और जुर्माने का है प्राविधान
आयकर अधिवक्ता राकेश सिंह बताते हैं कि सत्यापन के बाद ही लिया जाता बाटों का शुल्क दुकानदार को दुकान रजिस्ट्रेशन कराने के लिए एक आवेदन, घोषणा पत्र, दुकान के पता से संबंधित कागजात, मापतौल विभाग के डीलर से खरीदा हुए बाटों का पक्का बिल देना होता है। उक्त दुकान का मापतौल विभाग के इंस्पेक्टर द्वारा सत्यापन करने के बाद बाटों का शुल्क लिया जाता है। यह व्यवस्था दुकानों की है। वही ऐसा नहीं करने के उपरांत छह महीने की सजा और जुर्माने का भी प्राविधान है।बिना रजिस्ट्रेशन इलेक्ट्राॅनिक कांटाे में सामान तौलकर बेचना जुर्म है और सजा के दायरे में आता है। अवैध रूप से बेचते पाए जाने पर छह माह की सजा और 25 हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनों से दंडित करने का प्राविधान है। बिना सत्यापन, सील प्लेट व टीन नंबर के तौल कांटे का इस्तेमाल करने वाले दुकानदार पर जुर्माने की कार्रवाई की जाती है।