उदाकिशुनगंज अनुमंडल से लेकर गांव तक में लोग ध्वनि प्रदूषण से जूझ रहे है. इसकी मुख्य वजह बाइक के प्रेशर हॉर्न हैं. बाइक की बढ़ती संख्या के अनुसार प्रेशर हॉर्न की संख्या भी बढ़ी है. ये हॉर्न अलग-अलग तरह की तेज आवाज निकालते हैं. नयी उम्र के लोग इस हॉर्न का इस्तेमाल ध्यान आकृष्ट करने और खासतौर पर महिला या लड़कियों को आतंकित करने को करते हैं. अचानक हार्न बजाने से महिलाएं हड़बड़ा जाती हैं. कई बार उनके साथ असहज स्थिति बन जाती है और गिर जाती हैं. शहर इन दिनों दो पहिया वाहनों के प्रेशर हॉर्न से परेशान है. पाबंदी के बावजूद इनका उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है. हालांकि पुलिस को यह कर्कश आवाज सुनाई नहीं देती. कभी-कभार केवल रस्मी तौर पर प्रेशर हार्न बजाने पर पुलिस या परिवहन विभाग के चालान जरूर कटते हैं. खास बात यह है कि इन दोनों विभागों के पास वाहनों के हॉर्न की आवाज को मापने के लिए उपकरण भी नहीं है. इस दिशा में बड़े शहर के मॉडल को अपनाने की दिशा में पहल करना चाहिए, जिसके तहत वहां चालान ही नहीं काटे जाते हैं, बल्कि प्रेशर हार्न निकाल लिये जाते हैं और उन्हें नष्ट कर दिया जाता है.
हालाकि कितने को यह भी नही पता है कि प्रेशर हॉर्न की श्रेणी में आता है या नहीं
अगर किसी हॉर्न की ध्वनि 70 डेसिबल से अधिक है, तो वह प्रेशर हॉर्न की श्रेणी में आ जाता है. इससे कम हुई तो उसे साधारण हॉर्न माना जाता है. वाहनों के शोरूम में नॉमर्ल हॉर्न ही दिये जाते हैं.
परेशान करने के लिए हैं प्रेशर हॉर्न
एके यादव ने बताया कि आते वक्त दो बार प्रेशर हॉर्न की वजह से एक्सीडेंट होते-होते रह गई . इस तरह के हॉर्न से दिमाग कुछ समय के लिए काम करना बंद कर दिया. हमें तो रोज परेशानी होती है.कई राहगीर कहा लगातार प्रेशर हॉर्न बजने से काफी परेशानी होता है अक्सर टेंशन पाने के लिए ऐसे हॉर्न का यूज करते हैं. एक्सीडेंट तक हो जाते हैं. इससे बाजार में ध्वनि प्रदूषण तो होता ही है साथ ही कई बार इससे ट्रैफिक भी जाम हो जाता है. साथ ही हमारे सुनने की कैपिसिटी भी प्रभावित होती है.
नगर परिषद निवासी विशाल झा
ने कहा कि बेवजह हॉर्न बजाने से सड़क पर चलने के दौरान परेशानी होती है और इससे एक्सीडेंट की घटनाएं बढ़ती है. साथ ही दिल के मरीजों को इससे कई बार परेशानी होने लगती है.