मधेपुरा
सिनियर रिपोर्टर
आलमनगर विधानसभा विकास को लेकर अब भी उपेक्षित है। घोषणाएं के बाद भी क्षेत्र में औद्योगिक केंद्र स्थापित नहीं हो पाया है। वहीं वर्तमान सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार के योजना को भी भुला कर रख दिया। जबकि उद्योग लगने से लोगों में समृद्धि आती। राजद के कार्यकाल से आज तक इस अनुमंडल के तीन विधायक उद्योग मंत्री बने किंतु आज तक यहां किसी प्रकार का कल-कारखाना नहीं लग सके। इस वजह से आज भी क्षेत्र के ग्रामीण किसान,मजदूर रोजी रोटी की तलाश मेंअन्य प्रदेश पलायन करने को विवश रहते हैं। जबकि यहां एनडीए-1 सरकार में यहां चीनी मील खोलने का प्रयास किया गया था। किंतु आज तक इसको सरजमीं पर उतरते लोगों को देखना एक दिवास्वप्न बना हुआ है।नहीं लग सकी चीनी मिल :उदाकिशुनगंज में वर्ष 2006 में नीतीश कुमार की सरकार में चीनी मिल लगने की कवायद शुरू हुई थी। लेकिन,अब मिल का अतापता भी नहीं रह गया। जबकि चीनी मिल लगने से इलाके के लोगों को बड़े फायदे होता। बताया जाता है कि अनुमंडल क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में गन्ने की खेती होती है। जबकि चीनी मिल लगने से क्षेत्र के लोग समृद्ध होते।इंडस्ट्रीयल ग्रोथ सेंटर नहीं हो सका स्थापित :उदाकिशुनगंज में पूर्ववर्ती सरकार में 2004 ई. में इंडस्ट्रीयल ग्रोथ सेंटर की नींव रखी गई थी। लेकिन, ग्रोथ सेंटर स्थापित नहीं हो पाया। वस्तुत: लघु कुटीर आधारित उद्योग लगना था। उद्योग लगने से किसानों और व्यापारियों को फायदा होता।ज्ञात हो कि उदाकिशुनगंज अनुमंडल के इस क्षेत्र में सुगर केन (गन्ना) मक्का तथा हल्दी किसानों द्वारा हजारों मिलियन टन में उत्पादन किया जाता है। किंतु बाजार नहीं मिलने के कारण यहां के किसान व्यापारियों तथा दलालों के हाथों आर्थिक शोषण का शिकार होते आ रहे हैं।मक्का आधारित उद्योग की धरी रह गई आस :अनुमंडल के चौसा प्रखंड क्षेत्र के कलासन में मक्का आधारित उद्योग नहीं लग पाया। जबकि उदाकिशुनगंज अनुमंडल में बड़े पैमाने पर मक्के की खेती होती है। जहाँ इस क्षेत्र में उद्योग लगने से लोगों को फायदा होता। वही अब भी सरकार से लोगों की उम्मीद बंधी हुई है। इतना ही नही अनुमंडल के विभिन्न क्षेत्रों में दो दर्जन से अधिक स्टेट ट्यूबेल पूर्व से लगे हैं तथा एक भी स्टेट ट्यूबेल से एक बूंद पानी नहीं निकलता है। नई योजना के तहत एक दर्जन स्टेट ट्यूबेल जो डीजल एवं बिजली से किसानों द्वारा समिति बनाकर चलाया जाना है। लेकिन कर्मचारी के पदस्थापित नहीं होने से जंग की भेंट चढ़ रहा है।अनुमंडल मुख्यालय में उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं :अनुमंडल मुख्यालय में उच्च शिक्षा के नाम पर हरिहर साहा महाविद्यालय एक मात्र सरकारी शिक्षण संस्थान है। लेकिन कालेज में महज कला संकाय के कुछ विषयों के पढ़ाई की सुविधा है। कॉलेज में भवन का अभाव है। इस कारण आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे उच्च शिक्षा से वंचित रह जा रहे है। यह बात दीगर है कि कुछ परिष्कृत महाविद्यालय चल रहे हैं। जिससे यहां के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के नाम पर प्रमाणपत्र अवश्य ही मिल जाता है।यातायात सुविधा का अभाव :उदाकिशुनगंज अनुमंडल कई जिले की सीमाओं से घिरा है कोसी कक्षार पर बसा उदाकिशुनगंज अनुमंडल यातायात के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है। क्षेत्र में रेल यातायात की सुविधा नहीं है। सड़क यातायात पूर्ण रूप से विकसित नहीं है। कई साल बाद भी एनएच 106 नहीं बन पाया। सफर के लिए सरकारी बस की सुविधा नहीं।यातायात के अभाव में किसान व्यापारियों का विकास रूका हुआ है। ।। वही रेल के इंजन का धुंआ देखना इस अनुमंडलवासी के लोगों को नसीब में नहीं है जबकि आजादी से आज तक बिहार से सात रेल मंत्री बने हैं। लेकिन किसी ने इस अनुमंडल की ओर ध्यान नहीं दिया।उपेक्षित है धार्मिक स्थल :धार्मिक रूप से क्षेत्र प्रचलित रहा है। उदाकिशुनगंज के नयानगर का आपरूप भगवती मंदिर,आलमनगर का मां डाकनी स्थान,चौसा के बाबा विशुराउत मंदिर,चंदा स्थित बाबा अलीजान साह मजार,ग्वालपाड़ा के मझुआ गांव के बीसवीं सदी के महान संत परमहंस महर्षि मेंही दास महाराज की जन्म स्थली सदियों से उपेक्षित है। इन स्थलों पर हर रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। आस्था वस दूर दूर से लोग पहुंचते है। इन स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की जरूरत है।