प् सड़क पर लहरिया कट कर के बिना हेलमेट व तीन से चार लोडिंग और तेज गति से वाहन को चलाते है कम उम्र के युवक दुर्घटना की बनी रहती है आशंकालगातार सड़क दुर्घटना फिर भी सबक नही ले रहे है युवक
ब्यूरो रिपोर्ट. प्रिंस कुमार मिट्ठू
वर्तमान समय में जिस तरह वाहनों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. खास कर दो पहिया वाहनों की संख्या में जिसके अधिकांश चालक या तो नौसिखिया होते हैं या फिर बगैर ड्राइविंग लाइसेंस के यूं तो सड़क दुर्घटना की वजह कई है लेकिन नौसिखिया चालकों का वाहन चलाना घटना की मुख्य वजह तेज गति से वाहन चलाना है. लगातार दुर्घटना होने के बावजूद भी लोग सबक नहीं ले रहे है.दिन प्रत्येक दिन सड़क दुर्घटना होती ही रहती है. जिसमें से अधिकांश घटना में व्यक्ति की घटना स्थल पर ही मौत हो जाती है .वहीं कुछ लोग जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो जाते हैं. पिछले कई दिनों में सड़क दुर्घटना थमने का नाम नहीं ले रही है.कहि न कहि दुर्घटना की मुख्य वजह अधिकांश सड़क हादसे की मुख्य वजह सड़क का जर्जर होना है .वही कुछ नासमझ आगे निकलने के क्रम में अथवा पास देने के क्रम में दुर्घटनाग्रस्त होते है. तेज रफ्तार में वाहन चलाते समय अगर कोई गड्ढे सामने आ जाता है तब चालक के द्वारा अचानक ब्रेक लेने से दुर्घटना हो जाती है .शहर में कहीं भी ट्रैफिक व्यवस्था नाम की चीज नहीं है यूं तो ट्रैफिक कंट्रोल के नाम पर कुछ पुलिस के जवानों को प्रतिनियुक्त भले ही करा दी गई है. लेकिन वे अपने ड्यूटी पर आराम से कुर्सी पर बैठ कर आराम फरमाते रहते है.वही बस स्टैंड के समीप ट्रैफिक पुलिस कम नजर आते हैं .इस कारण अक्सर ही बस स्टैंड में जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है.जब कभी किसी अधिकारी की वाहन उस ओर से गुजरती है तो वो मुस्तैदी होकर जाम घटाने लगते है.शहर सहित अन्य क्षेत्रों में नाबालिक चालक हो रहे हैं दुर्घटना: पुलिस प्रशासन के डर से मुख्यबाजार में पहनते है हेलमेट वही शहर के पश्चिमी बाईपास के सड़क बिना हेलमेट व ट्रिपल या चार लोडिंग और तेज गति से वाहन को चलाते है युवक. बढ़ती नशाखोरी आज के समय में शराब पीना एक फैशन का रूप ले चुका है. जिसके कारण दोपहिया वाहन चलाने वाले अधिकांश युवा इस के शौकीन हो चुके हैं यूं तो 2016 से बिहार में शराबबंदी का लेकर पुलिस प्रशासन व उत्पाद विभाग पूरी तरह से मुस्तैद है. लेकिन तब भी शराब कारोबारियों पर कोई नकेल नहीं कसी जा रही है. एक कारण ये भी खतरनाक तरीके से वाहन का परिचालन करते हैं युवक. दूसरा यह है कि जिले में कोरेक्स के शिकार भी दिन प्रति दिन बढ़ रहे है.जिसमें वो लहरिया कट का व तीन से चार सवारों के साथ चलना आम है. इसके अलावा बाइक पर चार या पांच बाइक के साथ ग्रुप में चलते हैं .अगर बच्चे के अभिभावको की गलती रहती है .अगर वो अपने बच्चे को समझाएंगे तो काफी हद तक सड़क दुर्घटना में इजाफा हो सकता है. लेकिन ऐसा उनके द्वारा भी नही होता है जिस कारण दुर्घटना होने के बाद दुर्घनाग्रस्त युवक के परिजन मातम मनाते रहते है. अगर समय रहते उन युवकों को गाड़ी को सही ढंग से चलाने कहा जाए तो बहुत हद तक सड़क दुर्घटना में कमी पाया जाएगा .इस संबंध में एमभीआई अनिल कुमार ने बताया कि 16 वर्ष से ऊपर के युवक या युवती स्कूटी चला सकती है.लेकिन मोटरसाइकिल 18 वर्ष से ऊपर और वाहन अनुज्ञप्ति लेने के बाद ही चला सकते है.अगर कोई ट्रिपल या बेढंग तरीके से गाड़ी चलाते दिखाई देता है तो उसके गाड़ी की चालान काट कर जुर्माना वसूला जाता है.