रेल स्लीपर कारखाना चालू होने से मिलता रोजगार, कम होती पलायन

न्यूज डेस्क/ प्रिंस कुमार मिट्ठू करोड़ों के लागत से बना कंक्रीट स्लीपर प्लांट हो रहा बर्बाद 16 साल पूर्व बनकर […]

न्यूज डेस्क/ प्रिंस कुमार मिट्ठू

करोड़ों के लागत से बना कंक्रीट स्लीपर प्लांट हो रहा बर्बाद

16 साल पूर्व बनकर तैयार कंक्रीट स्लीपर प्लांट पूरी तरह से बर्वाद हो गया है.आलम यह है कि करोड़ों की लागत से बना यह कारखाना अगस्त 2009 में तैयार कर इरकान ने रेल मंत्रालय को सौंप दिया था. लेकिन रेल मंत्रालय के उदासीनता के कारण अब तक स्लीपर प्लांट का शुभारंभ भी नहीं हो पाया है. कारखाना को चालू करने के लिए हैरत यह है की  इस दिशा में मंत्रालय की ओर से कोई साकारात्मक पहल नहीं किया गया.नतीजा करोड़ों की लागत से लगाए गए उपकरणों को जंग खा रहा है. स्थानीय लोगों को कहना है कि अगर सरकार द्वारा सही समय पर कारखाना को चालू किया जाता तो सैकड़ों लोगों को रोजगार मिल सकता था.अब तो हालत यह हो गया है कि सारे उपकरणों के साथ-साथ कारखाना का कार्यालय भी ध्वस्त हो गया है.

जिसे कोई देखने वाला नहीं है.पूर्व रेल मंत्री लालू ने किया था शिलान्यास


रेलवे ट्रैक बनाने के लिए स्लीपर की जरूरत को पूरा करने के लिए भारत सरकार के पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने मधेपुरा में करोड़ों की लागत से कंक्रीट स्लीपर प्लांट बनाने की घोषणा की थी. कंक्रीट प्लांट का शिलान्यास 10 दिसंबर 2006 को लालू प्रसाद यादव के द्वारा किया गया था. बिहार सरकार के तत्कालीन उद्योग मंत्री राजेंद्र प्रसाद यादव ने शिलान्यास समारोह की अध्यक्षता की थी. कारखाना निर्माण की सारी जवाबदेही इरकान कंपनी को दी गई थी.कंपनी ने कारखाना का निर्माण कर एक अगस्त 2009 को रेल मंत्रालय को सौंप दिया. प्रथम चरण में पांच स्लीपर का निर्माण भी किया गया था. इसकी गुणवत्ता की जांच कर इसका रिपोर्ट भी सरकार को भेज दिया गया था.रिपोर्ट में कहा गया था कि कारखाना पूरी तरह से स्लीपर के निर्माण के लिए फीट है. कितु उद्घाटन की उम्मीद में वर्षाें गुजर गए. उपकरण जहां बर्वाद हो गया है.वहीं कारखाना जमींदोज होने के कगार पर पहुंच गया है. मोदी व नीतीश सरकार मधेपुरा का उपेक्षा कर रही है.मधेपुरा के विकास के लिए स्लीपर काखाना का स्थापना किया था कितु सरकार की बदनीयती के कारण करोड़ों की लागत से बना कारखाना ध्वस्त हो गया. अगर कारखाना को चालू किया जाता तो सैकड़ों युवाओं को रोजगार मिल सकता था।इतना ही नहीं रेल इंजन कारखाना के बदले मधेपुरा में इसेंबलिग प्लांट बना दिया गया है. इससे बेरोजगार युवाओं के सपने चूर-चूर हो गए हैं.जंग खा रही हैं करोड़ों की मशीनेंकरोड़ों रुपये की लागत से तैयार रेल स्लीपर कारखाना आजतक शुरू नहीं हो पाया. स्थिति यह है कि कारखाने में लगी मशीनों को अब जंग लगने से बर्बाद हो रही है. इस फैक्ट्री को पुन: चालू करने के लिए रेलवे को शेष बचे संयंत्रों के मरम्मत करने की आवश्यकता है. समय रहते रेलवे अगर ध्यान देगी तो बर्बाद हो रहे कारखाना को बचाया जा सकता है. कारखाना का ऊपरी शेड भी जर्जर होने की वजह से कई जगहों पर टूट गयी है. स्थानीय लोग बताते है कि स्लीपर कारखाना के सामान भी धीरे-धीरे चोरी होने लगे है. रेलवे द्वारा अपने कारखाना की सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं किये गये है.फैक्ट्री संचालन की नहीं हुई निविदामधेपुरा रेलवे ट्रैक के समीप शहरी क्षेत्र में स्थापित स्लीपर कारखाना के बनने के बाद कोलकाता की एक कंपनी को स्लीपर निर्माण का ठेका दिया गया था. जिसके बाद उक्त कंपनी द्वारा समयावधि बीत जाने पर भी काम करने के लिए अभिरुचि नहीं दिखायी गयी. नतीजतन फैक्ट्री में निर्माण कार्य रुका रहा. विडंबना की बात यह है कि निर्माण से इनकार करने वाली कंपनी के पीछे हटने के बाद रेलवे द्वारा पुन: किसी दूसरी कंपनी को कार्य का जिम्मा नहीं दिया गया.

9

Scroll to Top