ब्यूरो। पटना,
बिहार के अनुदानित संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों में कार्यरत लगभग 25 हजार शिक्षाकर्मियों को पिछले 6 वर्षों से बकाया वेतनमद सहायक अनुदान राशि का भुगतान नहीं मिल पाया है। इस मुद्दे को लेकर बिहार राज्य संबद्ध डिग्री महाविद्यालय शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ (फैक्टनेब) के नेतृत्व में एक संयुक्त बयान जारी किया गया है, जिसमें राज्य सरकार की संवेदनहीनता और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं।फैक्टनेब के अध्यक्ष डॉ. शंभुनाथ प्रसाद सिन्हा, उपाध्यक्ष प्रो. नसीम रेजा खान, महासचिव प्रो. राजीव रंजन, मीडिया प्रभारी प्रो. अरुण गौतम, और अन्य नेताओं ने बताया कि शैक्षणिक सत्र 2014-17 के दौरान शैक्षिक कार्यों में पूरी तरह से जुटे हुए शिक्षाकर्मियों को अब तक बकाया अनुदान का भुगतान नहीं हुआ है। इसके बावजूद, शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा विभिन्न स्तरों पर जांचोपरांत और उपयोगिता प्रमाणपत्र प्राप्त होने के बावजूद राशि का भुगतान नहीं हो पाया है।इस असंवेदनशीलता पर फैक्टनेब ने गहरी चिंता जताई है और इसे खेदजनक बताया है, खासकर छठ जैसे महापर्व के मौके पर जब कार्यकर्ताओं को अपनी मेहनत का पारिश्रमिक तक नहीं मिल पाया। संगठन के नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ विरोध जताया है और कहा कि शिक्षाकर्मियों में इस समस्या को लेकर आक्रोश फैल गया है।*फैक्टनेब की प्रमुख मांगें*फैक्टनेब ने बिहार सरकार से निम्नलिखित प्रमुख मांगें की हैं:1. वेतन संरचना में सुधार: उन्होंने मांग की है कि अंगीभूत महाविद्यालयों के शिक्षक और सहशिक्षाकर्मियों की वेतन संरचना तय की जाए और वेतन प्रतिमाह भुगतान किया जाए।2. बकाया राशि का भुगतान: लंबित अनुदान राशि का बजटीय उपबंध सुनिश्चित कर शिक्षाकर्मियों के बैंक खातों में एकमुश्त भुगतान किया जाए।3. मंहगाई के मद्देनजर राशि वृद्धि: 2008 में निर्धारित राशि में बढ़ोतरी की जाए। उदाहरण के तौर पर, स्नातक प्रथम, द्वितीय और तृतीय खण्ड में उत्तीर्ण होने वाले छात्रों की वास्तविक संख्या के आधार पर प्रत्येक खण्ड हेतु प्रथम श्रेणी के लिए ₹25,500 प्रति छात्र, द्वितीय श्रेणी के लिए ₹24,000 प्रति छात्र, और तृतीय श्रेणी के लिए ₹22,500 प्रति छात्र की राशि निर्धारित की जाए।4. सर्वेक्षण आधारित राशि की अधिकतम सीमा को समाप्त करना: 2008 के संकल्प के अनुसार परीक्षा परिणाम आधारित वेतनमद सहायक अनुदान राशि में स्नातक खण्ड के लिए डेढ़ करोड़ रुपए और इण्टर खण्ड के लिए पचास लाख रुपए की अधिकतम सीमा को समाप्त किया जाए।*आंदोलन की चेतावनी*फैक्टनेब के नेताओं ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया, तो वे 17 नवंबर को एक विस्तारित राज्य समिति की बैठक में और सख्त आंदोलनात्मक कार्यक्रम तय करेंगे। उन्होंने कहा कि इस स्थिति की सारी जिम्मेदारी बिहार सरकार पर होगी, यदि शिक्षाकर्मियों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया।