ब्यूरो रिपोर्ट, प्रिंस कुमार मिट्ठू
प्कोरेक्स के शिकार हो रहे युवा पीढ़ीयुवाओं का एक बड़ा तबका नशे की जद में तेजी से आ रहा है युवा कफ सिरप का प्रयोग कर रहे हैं. मालूम हो कि कोरेक्स सिरप की जगह बाजार में फेंसिडील व डीएक्स कफ सिरप मिल रहा है. चिकित्सकों ने बताया कि कोरेक्स सिरप के जैसा ही इन दोनों सिर्फ में अल्कोहल की मात्रा अधिक है. पहले युवक नशे के लिए कोड इस्तेमाल करते थे लेकिन सरकार ने कोडक पर बैन कर दिया उसके जगह पर फैंसी डील वह डीएक्स कफ सिरप कंपनी द्वारा निकाला गया है जो सिर्फ सिर्फ खांसी में उपयोग किया जाता है इस सिर्फ में अल्कोहल की मात्रा ज्यादा होने के कारण युवक नशा करने के प्रयोग कर रहे हैं अगर युवक पूरे फाइल को पी जाता है तो नशे में चूर हो जाते हैं. क्योंकि इस सिरप में अल्कोहल की मात्रा ज्यादा पाई गई है. मालूम हो कि शहरी क्षेत्र में नवयुवकों में सी शब्द का प्रचलन काफी बढ़ गया है.एक युवक मिलाता है चालीस और दूसरा युवक मिलाता है तीस तब जाकर आता है सी.यानी सिरप और फिर सारे युवक झूमते हुए कहते हैं हम इसी के लिए हैं न किसी के लिए, हम जीते हैं सिर्फ सी के लिए.सी शब्द कोई अंजान शब्द नहीं है.यह एक दवा कोरेक्स सीरप का नाम है. जो खांसी जैसी बीमारी में काम आता है. जिसे पीने के आदी शहर के युवक हो गए हैं.कोरेक्स आज दवा दुकानों में आसानी से उपलब्ध हो जाता है.दवा दुकानदार इतना भी पूछने की जहमत नहीं उठाते हैं कि आप किस डॉक्टर से पूर्जा लिखवाएं हैं.सूत्र बताते हैं कि युवक कारेक्स की बोतलें पीकड़ फैक देते है लोगों का कहना है कि कोरेक्स पीने से नशा आता है.कोरेक्स पीने से उसका साइड इफेक्ट इन पीने वालों को पता नहीं है और युवा पीढ़ी इस दलदल में फंसते चले जा रहे हैं. फिलवक्ता शहर के नई पीढ़ी के युवक इसका एडिक्ट होते जा रहे हैं. उन्हें खाने से अधिक चिंता कोरेक्स की बोतलें जुटाने की रहती है.बिना रोकथाम के कोरेक्स शहर में बिकता रहा तो अधिकतर युवक इसके एडिक्ट हो जाऐंगे.वही जब इस विषय परडॉ यश शर्मा ने बताते है कि किसी भी चीज का एडिक्ट होने पर उसका साइड इफेक्ट है. इस दवा के अधिक सेवन से यकृत यानी लिवर पर असर पड़ता है.उन्होंने बताया कि कोरेक्स दवा के रुप में उपयोग किया जाता है.अगर इसे लोग नशा के लिए उपयोग करते हैं तो हार्ट एवं लीवर पर भी इसका असर पड़ सकता है.शरीर पर कैसा असर पड़ता है:-अन्य अफ़ीम पदार्थों की तरह कोडीन का भी एक कैरेक्टर है जिसको मेडिकल टर्म्स में टॉलरेन्स बोलते हैं. यानी समय के साथ नशे के अनुभव के लिए आपको इसकी ज़्यादा से ज़्यादा मात्रा लेनी पड़ती है.-इससे कोडीन टॉक्सिसटी के लक्षण दिखाई दे सकते हैं-एंग्जायटी, डिप्रेशन, या सामान्य से ज़्यादा नींद आना-भूख न लगना, वेट लॉस हो सकता है.-लगातार सिर घूमने या मूड स्विंग्स की वजह से इंसान फोकस नहीं कर पाता-अपनी सोशल रिस्पांसिबिलिटी, रिलेशनशिप से दूर भागता है– ज्यादा समय तक इसका नशा करने से लंग इन्फेक्शन हो सकता है, धड़कनें बहुत तेज़ या बहुत धीमी हो सकती हैं, इसका दिमाग पर भी अस पड़ सकता है.जब कोई कोडीन एडिक्ट इसे लेना बंद कर देता है तो क्या होता है:-शुरू में सिर दर्द, उल्टी-पेट में दर्द-भूख न लगना-बाद में कई महीनों तक मानसिक बीमारियों के लक्षण दिख सकते हैं.-लत छुड़ाना मुश्किल हो सकता हैहालांकि, ये लत छुड़ाई जा सकती है. इसके लिए डॉक्टर्स हैं. मनोचिकित्सक एडिक्ट्स का इलाज करते हैं. ड्रग डीएडिक्शन सेंटर्स हैं, जहां इलाज का सक्सेस रेट ज्यादा होता है.इसलिए अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो बेवजह कफ़ सिरप पीता है तो उसे बताएं कि वो नशा कर रहा है. उसे बताएं कि इस नशे से छुटकारा पाना उसके लिए ज़रूरी है. साथ ही ये जानकारी उसे ज़रूर दें.